ॐ श्री गणेशाय नमः
1.ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।
अर्थ!
जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध जगदंबे। आपको मेरा नमस्कार है ।
2 .ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
अर्थ!
सब प्रकार के सुख देने वाले, सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाले, शरण लेने वाले, त्रिनेत्र अर्थात् भूत, वर्तमान, वर्तमान को देखने वाले तुम ही शिव की पत्नी हो। आप सभी रूपों से जुड़े हैं, आपको नमस्कार!
3 सर्वविघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक ्यस्यखिलेशवरी ।
एवमे य त्वया कार् य मस्माद्वैरि विनाशनम् ॥
4 .विपत्तिनाशक मंत्र-
शरणा गतर्दिनार् त परित्राण पारायणे ।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते ॥
5 स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए-
दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके ।
म म सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय। ।
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6.दरिद्रता नाश के लिए-
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय
7.सदार्द्रचित्ता।
आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि ॥
8.बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान् य सुतान्वितः ।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय ॥
9.सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिए-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्ग संसारसागस् य कुलोद्भवाम्। ।
10.शत्रु नाश के लिए-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा। ।
Jai Maa Sherawali 🙏
108 Names of maa Durga : मां दुर्गा के 108 नाम, सफलता का देंगे आशीर्वाद
आइए पढ़ें मां दुर्गा की अष्टोत्तरशतनामावली:-
सती,साध्वी,भवप्रीता,भवानी,भवमोचनी,आर्या,दुर्गा,जया,आद्या,त्रिनेत्रा,शूलधारिणीपिनाकधारिणी,चित्रा,चंद्रघंटा,महातपा,मन,बुद्धि,अहंकारा,चित्तरूपा,चिता,चिति,सर्वमंत्रमयी,सत्ता,सत्यानंदस्वरुपिणी,अनंता,भाविनी,भव्या,अभव्या,सदागति,शाम्भवी,देवमाता,चिंता,रत्नप्रिया,सर्वविद्या,दक्षकन्या,दक्षयज्ञविनाशिनी,अपर्णा,अनेकवर्णा,पाटला,पाटलावती,पट्टाम्बरपरिधाना,कलमंजरीरंजिनी,अमेयविक्रमा,क्रूरा,सुंदरी,सुरसुंदरी,वनदुर्गा,मातंगी,मतंगमुनिपूजिता,ब्राह्मी,माहेश्वरी,ऐंद्री,कौमारी,वैष्णवी,चामुंडा,वाराही,लक्ष्मी,पुरुषाकृति,विमला,उत्कर्षिनी,ज्ञाना,क्रिया,नित्या,बुद्धिदा,बहुला,बहुलप्रिया,सर्ववाहनवाहना,निशुंभशुंभहननी,महिषासुरमर्दिनी,मधुकैटभहंत्री,चंडमुंडविनाशिनी,सर्वसुरविनाशा,सर्वदानवघातिनी,सर्वशास्त्रमयी,सत्या,सर्वास्त्रधारिणी,अनेकशस्त्रहस्ता,अनेकास्त्रधारिणी,कुमारी,एककन्या,कैशोरी,युवती,यति,अप्रौढ़ा,प्रौढ़ा,वृद्धमाता,बलप्रदा,महोदरी,मुक्तकेशी,घोररूपा,महाबला,अग्निज्वाला,रौद्रमुखी,कालरात्रि,तपस्विनी,नारायणी,भद्रकाली,विष्णुमाया,जलोदरी,शिवदुती,कराली,अनंता,परमेश्वरी,कात्यायनी,सावित्री,प्रत्यक्षा,ब्रह्मावादिनी।
🙏जय माता दी।🙏
खास कर नवरात्रि में अष्टोत्तरशतनामावली पढ़ने से साधक को जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है।
माता को प्रसन्न करने के लिए पाठ के बाद अवश्य पढ़ें।
1
हे गिरी नंदिनी विश्व की स्वामिनी नंदी गण तव शरण रहे
विंध्य गिरी पर रहनेवाली इंद्र देव तव नमन करे ॥
भगवती गौरी शिव अर्धांगिनी जग का नित उद्धार करे ॥
जय जय मां महिषासुर मर्दिनी हम तेरा जयकार करें
2
देवों को बल देने वाली, राक्षस दल को नष्ट करे ॥
करत गर्जना देवी महेश्वरी, असुरों का संघार करे ॥
अहंकारी दानव दल डर डर सिन्धु सुता जब क्रोध करे ॥
जय जय मां महिषासुर मार्दिनी हम तेरा जयकार करें
3
सदा प्रसन्ना मां जगदम्ब
वनों में वास करे ॥
बैठी वैष्णवी हिम शिखरों में विकट गुफा में ध्यान धरे ॥
मधु सी मधुर मोहिनी माता मधु कैटभ का नाश करे ॥
जय जय मां महिषासुरमर्दिनी हम तेरा जयकार करें
4
दैत्य मुंड करे खंड असुर गजराज शुंड सौ खंड करे ॥
सिंह चढ़ चले चंडी चंडिका, चंद्र वदनी जब युद्ध करे ॥
हाथ धरे तलवार मार कर चंड मुंड के शीश हरे |
जय जय मां महिषासुरमर्दिनी हम तेरा जयकार करें
5
रणचंडी अपार शक्ति धर शत्रुदलों का नाश करे
त्रिपुर सुंदरी आदि शक्ति मां शंभू प्रिया कल्याण करे ॥
दुष्ट दुराचारी पापी दानव दूतों का नाश करे ॥
जय जय मां महिषासुर मर्दिनी हम तेरा जयकार करें
6
शत्रु वधु जब शरण में आई [aaeeN] शरणागत पर कृपा करे ॥
भद्रकाली मारे त्रिशूल और असुर दलों के शीश हरे |
दुमी दुमी बाजे शंख दुंदुभी स्वर नभ में जय घोष करे
जय जय मां महिषासुर मर्दिनी हम तेरा जयकार करें
7
धूम्र धूम्र धूमावती माता धूम्रलोचन के प्राण हरे ॥
काली कालिका खप्पर वाली रक्त बीज लहू पान करे ॥
शुम्भ निशुम्भ की बलि चढ़ा भैरव को सदा प्रसन्न करे ॥
जय जय मां महिषासुर मर्दिनी हम तेरा जयकार करें
8
धनुष बाण कंचन के कंगन खड़ग कटारी हाथ धरे ॥
रूद्राणी जब खड़ग चलावे असुर मुंड रण बीच गिरे
महामाया मातंगी माता अट्टहास विकराल करे
जय जय मां महिषासुरमर्दिनी हम तेरा जयकार करें
9
ताम थेई तत थेई धूम किट तत थैई स्वर्ग अप्सरा नृत्य करें
धू धू किट धू धू किट तकिट धूम तकिट सुमधुर भेरि मृदंग बजे
नृत्य मग्न नट राजेश्वरी के झण झण झंकृत नुपुर बजे
जय जय मां महिषासुरमर्दिनी हम तेरा जयकार करें
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